जलछाजन
जलछाजन-एक परिचय:-
- झारखण्ड राज्य प्राकृतिक संपादाओं से परिपूर्ण एक ऐसा राज्य है, जो देश को ऊर्जा के क्षेत्र में अपना भरपूर योगदान देता है। जिस तरह भगवान शिव के मस्तक पर माँ गंगा एवं चन्द्रमा सुशोभित है, उसी प्रकार झारखण्ड राज्य देश के मस्तक पर एक सुशोभित राज्य है। यहां पर औसतन 1400-1500 मिली, वर्षा होती हे। लेकिन जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, पौधा संरक्षण प्रति जागरुक नहीं होने के कारण यहां के कृषक साल भर मात्र एक ही फसल लगा पाते हैं। हमारे राज्य का पानी एक जगह से बहकर दूसरे जगह पर चला जाता है। वहां के लोग इसका अधिक से अधिक उपयोग कर खुशहाल हैं।
- जलछाजन कार्य में रिच में DCT, ACT, स्टैगर कन्टूर, कन्टन्यिूस कन्टूर एवं ड्रेनेज लाइन में लूज बोल्डर स्ट्रक्चर, गली पल्लिगिंग, Wat, TCB अर्दन चेकडैम इत्यादि का कार्य किया जाता है। उसके अलावा ड्रेनेज लाइन 1st Order, 2nd Order एवं 3 Order में भी कार्य किया जाता है। जलछाजन का सिद्धांत कहता है कि यदि पानी दौड़ रहा है, तो उसे चलना सिखाना है, यदि पानी चल रहा है तों उसे रेंगना सिखाना है। रेंगते हुए पानी को ठहरना सिखाना है जब हम उपर के उपचार करने के पशचात् नीचे की ओर आते हैं। तो जमीन की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ट्रैंच , मेढ़बंदी, समतलीकरण, बेंच ट्रेसिंग , पौधा रोपण, परकुलेशन टैंक, डोभा, तालाब इत्यादि जल संरक्षण एवं भूगर्भ जल के सतह उपर उठाने हेतु कार्य करता हैं।
- इस परियोजना के अंतर्गत हम केवल जल संरक्षण की बात नहीं करतें हैं, बल्कि गाँव में रहने वाले किसान, महिलाएं एवं लघु उद्यामि करने वाले उद्यामि की भी बात करते है। जीविकोपार्जन हेतु जो पैसा प्राप्त होता है उससे महिला-पुरुष स्वंय सहायता समूह बनाकर उसको उचित प्रशिक्षण देने के बाद समिति द्वारा उस समिति को जलछाजन समिति द्वारा महिला-पुरुष या लाभुक समिति के सदस्य यदि कोई आजीविका हेतु विकास करना चाहता है। उनको ऋण स्वरुप धन उपलब्ध कराया जाता है। जलछाजन एक ऐसी परियोजना है जो जल के साथ-साथ गाँव विकास की बात करता है।
जलछाजन से होने वाले लाभ:-
. बूंद -बूंद पानी का संरक्षण हो सकता है।
. भूगर्भ – जल स्तर को उपर उठाया जा सकता है।
. मिट्टी के कटाव को रोक सकते है।
. कुँआ, तालाब में पीने का पानी मिलेगा।
. ग्रामिणों की आजीविका में होगा सुधार।
. नमी रहेगी, खेती बढ़ेगी और घटेगी गरिबी।