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मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड

 

वर्तमान जिला उद्यमी समन्वयक  आशीष कोनगाड़ी,

संपर्क  .- 9065520258   Mail Id-decsimdega@gmail.com

कार्य क्षेत्र – 10 प्रखंड

कुल प्रखंड उद्यमी समन्वयक – 05

  1. प्रखंड उद्यमी समन्वयक, सिमडेगा –   9065520371
  2. प्रखंड उद्यमी समन्वयक, पाकरटांड़ –   9065520370
  3. प्रखंड उद्यमी समन्वयक, बांसजोर –   9065520364
  4. प्रखंड उद्यमी समन्वयक, कोलेबिरा –   9065520367
  5. प्रखंड उद्यमी समन्वयक, जलडेगा –   9065520366

उद्देश्यः

मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड  की स्थापना निम्नलिखित गतिविधियों के माध्यम से लघु एवं कुटीर उद्यमों का विकास और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि के उद्देश्य की गई हैः-

  • व्यापार में प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए तकनीकी, वित्तीय और विपणन हस्तक्षेपों के माध्यम से झारखंड में लघु और कुटीर उद्यमों की सहायता करना।
  • उद्यम विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना और संचालित करना ।
  • संबंधित स्थानों (शहरी और ग्रामीण) और व्यक्तियों, समूहों या समूहों के विभिन्न लक्षित समूहों के अनुरूप उद्यमिता विकसित करने की क्षेत्र-परीक्षण रणनीतियों और पद्धतियों को विकसित और मानकीकृत करना।
  • उद्यम विकास में लगे विभिन्न संस्थानों और संगठनों के सहयोग से प्रशिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों का संचालन और समन्वय करना।
  • छोटे और कुटीर उद्यमों को समर्थन और बढ़ावा देने में लगे विभिन्न सरकारी /गैर.सरकारी संगठनों के सदस्यों की आवश्यकता की पहचान करने और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए।
  • स्वरोजगार, उद्यमिता और उद्यम विकास से संबंधित नीतियों के निर्माण और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए आवश्यक जानकारी एकत्र करना, विश्लेषण करना और संसाधित करना।
  • मौजूदा उद्यमियों द्वारा अपनाई गई प्रबंधन दक्षता, उत्पादकता और प्रौद्योगिकी में सुधार के लिए आवश्यक परामर्श सेवाओं की पहचान, डिजाइन, संचालन और परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
  • उद्यम विकास की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ज्ञान उत्पन्न करने के लिए समस्याओं का अध्ययन और अनुसंधान करना।
  • उद्यमिता, स्वरोजगार और नए उद्यमों की स्थापना को उत्प्रेरित करना।
  • लघु और कुटीर उद्योग में उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न माध्यमों के विकास, डिजाइन और उपयोग में मदद करना।
  • हस्तशिल्प उद्यमों के माध्यम से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की आवश्यकता को पूरा करना।लघु और कुटीर उद्यमों को बढ़ावा देने के लिएशैक्षिक कार्यक्रमों की पेशकश और आयोजन करना ।
  • केंद्र सरकार के विभिन्न संस्थानों के सहयोग से निर्यात हब के रूप में बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से झारखंड उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देना।जैसे APEDA, FEIO आदि।

बोर्ड के चार भाग हैं

  • लाह संवर्धनः लाह आधारित उद्यम को बढ़ावा देना।
  • तसर सिल्क संवर्धनः के माध्यम से वस्त्र को बढ़ावा देने से तसर सिल्क पदोन्नति।
  • हस्तशिल्प: उद्यम हस्तशिल्प को बढ़ावा देना।
  • लघु और कुटीर उद्यमः सभी प्रकार के छोटे और कुटीर उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए।

मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड की योजनाएं /कार्य

  • बांस-प्रशिक्षण सह उत्पादन और विपणन
  • लाह -प्रशिक्षण सह उत्पादन और विपणन
  • एम.एफ.पी. उत्पाद
  • मटीकला -प्रशिक्षण सह उत्पादन एवं विपणन एवं विद्युत चक वितरण एवं पग मिल का भी वितरण करना ।
  • स्फूर्ति योजना (क्लस्टर कार्य)-दिशानिर्देश संलग्न हैं
  • कारीगरों के आवेदन और आई-कार्ड
  • मधुमक्खी पालन

सभी योजनाओं की समीक्षा के बारे में

  1. बांस मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड का लक्ष्य राज्य के प्रत्येक गाँवों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना एवं उद्यमिता विकास हेतु लघु एवं कुटीर उद्योग की स्थापना करना जिससे ग्रामीणों/किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य उपलब्ध हो सके एवं कच्चे माल का परिष्करण, विपणन कर उचित मूल्य उपलब्ध हो सके जिससे राज्य में बेरोजगारी एवं गरीबी दूर की जा सके। इस क्रम में बोर्ड द्वारा बाँस हस्तशिल्प उत्पाद आधारित लघु एवं कुटीर उद्योग की स्थापना करना एवं प्रति व्यक्ति आय में संवृद्धि करना है।

 

  1. लाह – लाह उत्पादन के क्षेत्र में झारखण्ड एक अग्रणी राज्य है,जहाँ औसत उत्पादन प्रतिवर्ष लगभग 10 हजार मेट्रिक टन है, जिसका लगभग 70 प्रतिशत निर्यात किया जाता है। राज्य के लगभग 12 से 14 जिले लाह उत्पाद क्षेत्र के रूप मे अच्छादित है एवं लगभग 8 से 10 लाख ग्रामीण लाह खेती से जुड़े हुए है, जो अधिकांश जनजातीय समुदाय के द्वारा किया जाता है। कच्चे लाह की बिक्री ग्रामीणों द्वारा परंपरागत रूप से सप्ताहिक ग्रामीण हाटों में बाजार दर पर नियमित रूप से किया जाता है। लाह के क्षेत्र में लाह खेती से जुड़े कृषकों को उनके उत्पाद का वास्तविक लाभ बाजार में उतार.चढ़ाव के कारण नहीं मिल पाता है, जिससे लाह कृषकों को लागत मूल्य भी प्राप्त होने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बोर्ड द्वारा ग्रामीण हाटों का सर्वे में यह पाया गया कि लाह कृषक अपने उत्पाद का मूल्य स्वयं निर्धारण नहीं करते हैं बल्कि इस क्षेत्र से जुड़े buyer/exporter द्वारा दर निर्धारण किया जाता है। फलस्वरूप लाह कृषकों को खेती के समय यह जानकारी नहीं हो पाती है कि उनके उत्पाद का buyer/exporter द्वारा ग्रामीण हाटों में दर निर्धारण लाभप्रद होगा अथवा नहीं। निश्चित रूप से लाह कृषकों के लिए यह एक गंभीर समस्या है जिसे दृष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड द्वारा एक नयी पहल प्रारम्भ कर दी गयी है, जिसमें लाह कृषकों को उनके उत्पाद का मूल्य संवर्धन (value-added) करते हुए वास्तविक लाभ निरंतर उपलब्ध कराया जा सके।
  1. एमएफपी उत्पाद और हाट बाजार अपडेट बोर्ड के ऐप पर उपलब्ध है ।

 

  1. माटीकला अब तक 30 कारीगरों को माटीकला बोर्ड के द्वारा अनुदानीत राशि पर इलैक्ट्रिक चाक  का वितरण  किया गया है और हर महीने  चाक के लिए सभी प्रखंडों से  नये  आवेदन भरे जा रहे  हैं।  इलैक्ट्रिक चाक के साथ पग मिल का और  जिगर जॉली  के लिए नये  आवेदन भरे जा रहे  हैं।
  2. स्फूर्ति स्कीमइस योजना के लिए सिमडेगा क्लस्टर में कार्य प्रगति पर है। हर क्लस्टर के शुरू होने पर उसके लिए प्रोड्यूसर कंपनी भी बनेगी। सिमडेगा जिले में बांस और माटीकला से सम्बंधित क्लस्टर की पहचान कर क्लस्टर बनाने का कार्य शुरू हो चूका है एवं दोनों पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए फंड की योजना SFURTI SCHEME द्वारा क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए की जाएगी । खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) खादी के लिए क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने के लिए नोडल एजेंसी है ।

संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार, निम्नलिखित योजनाओं को स्फूर्ति में विलय किया जा रहा हैः

  • खादी उद्योग और कारीगरों की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की योजना
  • उत्पाद विकास, डिजाइन हस्तक्षेप और पैकेजिंग के लिए योजना पीआरओडीआईपी
  • ग्रामीण उद्योग सेवा केंद्र आरआईएससी और अन्य छोटे हस्तक्षेप के लिए योजना
  1. कारीगरों के आवेदन और आई.कार्ड 
क्र.सं. उत्पाद सिमडेगा कोलेबिरा बांसजोर टी.टांगर पाकरटांड़ केरसई जलडेगा कुरडेग बनो बोलबा
1 बेंत और बांस 94 84 47 224 137 3 102 00 36 53
2 मिट्टी के बर्तन 52 114 38 92 86 00 60 05 04 13
3 कढ़ाई बुनाई 22 51 20 25 00 40 21 21 38 16
4 लकड़ी पर नक्काशी 10 06 03 00 35 00 02 01 09 00
5 संगीत के उपकरण 09 01 10 00 09 00 00 00 00 10
6 जूते 04 00 00 00 00 00 03 00 00 00
7 धातु के बर्तन 89 62 00 05 05 00 30 00 67 00
8 घास या पत्ता 19 07 00 52 02 00 30 74 00 21
9 पत्थर की नक्काशी 05 00 00 00 00 00 00 00 00 00
10 चित्र 03 00 00 00 00 00 00 00 02 00
1 1 गोल्ड स्मिथ 06 00 00 00 00 00 00 00 00 00
12 ओखली 00 00 00 08 00 00 00 00 00 00
13 कपड़ा हथकरघा 00 00 15 00 00 41 00 00 00 00
  कुल  313 325 133 406 274 84 218 101 156 113

 

    

  1. मधुमक्खी पालन-झारखण्ड वन संपदा से धनी राज्य है यहाँ के वनों में साल,महुआ, आम, करंज, नीम, जामुन इत्यादि के पेड़ बहुतायात मात्रा में उपलब्ध है इस घने वन पर्यावरण एवं फसलों में मधुमक्खी की प्रमुख भुमिका है जिससे प्रत्येक फूल में पारागण कर उपज में वृद्धि की जाती है। मधुमक्खी पालन कम पूँजी में ज्यादा आमदनी देने वाला व्यवसाय है चूँकि मधुमक्खी पालकों को मधुमक्खी कॉलोनियों की निगरानी हेतु कुछ घंटा बिताना पड़ता है इसलिए यह आंशिक व्यवसाय के अन्तर्गत है। मुख्यमंत्री लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड द्वारा कुल 500 किसानों को राज्य भर से मास्टर ट्रेनर हेतु विकास भारती एवं राम कृष्ण आश्रम में 15 दिवसीय प्रषिक्षण दिया गया। यह कदम बोर्ड द्वारा प्रधानमंत्री जी के मीठी क्रांती के संकल्प को पूरा करने हेतु उठाया गया। सिमडेगा जिले में कुल 9 किसानों को विकास भारती बिशुनपुर गुमला पर प्रशिक्षण दिया गया ।